बैद्यनाथ वातकुलान्तक रस में आमतौर पर पाए जाने वाले प्रमुख तत्वों में शुद्ध पारद (शुद्ध पारा), शुद्ध गंधक (शुद्ध सल्फर), बहेड़ा, जायफल (जायफल), नागकेशर और कस्तूरी (कस्तूरी) शामिल हैं। इसमें बहेड़ा, जयफल, इला (इलायची), मेन्सिल और लौंग (लौंग) जैसे तत्व भी शामिल हो सकते हैं, और इसे अक्सर ब्राह्मी स्वरस में संसाधित किया जाता है।





उत्पाद विनिर्देश
उत्पाद लाभ
माना जाता है कि यह आयुर्वेदिक औषधि तंत्रिका तंत्र को मज़बूत करती है और रक्त संचार में सुधार करती है। यह वात दोष असंतुलन से जुड़े लक्षणों, जैसे झुनझुनी, बेहोशी, कंपकंपी और लकवा को कम करने में मदद कर सकती है। यह समग्र मानसिक स्पष्टता को भी बढ़ावा देती है और अनिद्रा के प्रबंधन में सहायक हो सकती है।
उत्पाद के विशिष्ट उपयोग
बैद्यनाथ वातकुलंतक रस का उपयोग पारंपरिक रूप से वात दोष असंतुलन से जुड़ी स्थितियों, जैसे जोड़ों के दर्द, अकड़न और तंत्रिका संबंधी असुविधा के प्रबंधन के लिए किया जाता है। यह मिर्गी, लकवा, चेहरे का पक्षाघात, कंपकंपी, अनिद्रा और पैरों में झुनझुनी जैसी विभिन्न तंत्रिका संबंधी स्थितियों के लिए भी संकेतित है। इसके अतिरिक्त, यह प्रसवोत्तर देखभाल और बेहोशी जैसी स्थितियों में भी लाभकारी हो सकता है।
महत्वपूर्ण सूचना
Ingredients:
Directions/Dosage:
बैद्यनाथ वातकुलान्तक रस को पारंपरिक रूप से शहद, घी या अन्य वात-निवारक औषधियों के साथ दिया जाता है। इसके उपयोग के लिए किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा दिए गए विशिष्ट निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।