मुख्य सामग्रियों में प्रसारिणी (पेडेरिया फोटिडा), यष्टिमधु, पिपलामूल (लंबी काली मिर्च की जड़), चित्रक, सेंधा नमक (सेंधा नमक), गौदुग्ध (गाय का दूध), वाचा, देवदारू, रसना, गजपीपल, भिलावा, सौंफ (सौंफ़), जटामांसी, लाल चंदन, कांजी, और तिल का तेल (तिल का तेल) शामिल हैं।

उत्पाद विनिर्देश
उत्पाद लाभ
बैद्यनाथ प्रसारिणी तेल के संभावित लाभों में जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द और बेचैनी को कम करना, सूजन और जलन को कम करना और प्रभावित क्षेत्रों में रक्त संचार को बढ़ाना शामिल है। यह लचीलेपन, गतिशीलता और तंत्रिका कार्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, साथ ही तंत्रिका तंत्र पर शांत प्रभाव डालकर तनाव को कम करने में भी मदद कर सकता है।
उत्पाद के विशिष्ट उपयोग
यह उत्पाद विशेष रूप से लॉक्ड जॉ, साइटिका, लंगड़ापन, कुब्जता, पक्षाघात, चेहरे का पक्षाघात, सिर और गर्दन में अकड़न जैसी स्थितियों के लिए उपयोग किया जाता है, साथ ही वायरल बुखार के बाद जब मरीज़ों को मांसपेशियों और शरीर में दर्द होता है। इसका उपयोग वात और कफ दोषों को संतुलित करने के लिए भी किया जाता है।
महत्वपूर्ण सूचना
Ingredients:
Directions/Dosage:
पारंपरिक उपयोग के लिए, बैद्यनाथ प्रसारिणी तेल को प्रभावित क्षेत्र पर हल्के हाथों से मालिश करके लगाया जाता है। यह केवल बाहरी उपयोग के लिए है। इसका उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक उपचारों जैसे कटिवस्ति, ग्रीवाबस्ति और अभ्यंग में किया जाता है। किसी पंजीकृत चिकित्सक के निर्देशों का पालन करना ज़रूरी है।