इसमें शुद्ध पारद (प्रसंस्कृत पारा), शुद्ध गंधक (सल्फर), टंकण भस्म (बोरेक्स), ताम्र भस्म (तांबा), वंगा भस्म (टिन), और मक्षिका भस्म (कॉपर-आयरन पाइराइट) शामिल हैं। इसमें स्वर्ण, लौह और रजत भस्म (सोना, लोहा, चांदी) के साथ-साथ सैंधव (सेंधा नमक), मारीच (काली मिर्च), धतूरा, शेफाली (निर्गुंडी), दशमूल, किराततिक्त (स्वर्टिया चिराता), और पानी भी शामिल है।

उत्पाद विनिर्देश
उत्पाद लाभ
जयमंगल रस रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, श्वसन स्वास्थ्य में सुधार और हृदय क्रियाशीलता को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह कमज़ोरी या पुरानी बीमारी से तेज़ी से उबरने में भी मदद करता है।
उत्पाद के विशिष्ट उपयोग
इसका उपयोग मुख्य रूप से विभिन्न कारणों से होने वाले बुखार, दीर्घकालिक श्वसन संक्रमण, हृदय संबंधी विकारों और सामान्य दुर्बलता के उपचार में किया जाता है। यह शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और प्रणालीगत स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
महत्वपूर्ण सूचना
Ingredients:
Directions/Dosage:
125-250 मिलीग्राम सुबह और शाम, जीरा और शहद के साथ, भोजन से पहले या बाद में या आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशानुसार लें।