बैद्यनाथ दशमूल काढ़ा में प्रमुख सामग्रियों में दस जड़ें शामिल हैं जो दशमूल बनाती हैं: शालपर्णी, प्रिश्नापर्णी, कटेरी छोटी, कटेरी बड़ी, गोक्षुरा, बिल्व, अरनिमूल, सोनापाठा, गंभारी और पाधल। ये सामग्रियां व्यापक चिकित्सीय प्रभाव प्रदान करने के लिए सहक्रियात्मक रूप से काम करती हैं। अन्य सामग्रियों में धातकी और गुड़ शामिल हो सकते हैं।

उत्पाद विनिर्देश
उत्पाद लाभ
बैद्यनाथ दशमूल काढ़ा के लाभों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना, पाचन में सुधार और खांसी व अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं को कम करना शामिल है। यह शरीर को विषमुक्त करने और वात दोष को संतुलित करने में मदद करता है, जो अक्सर दर्द और तंत्रिका संबंधी विकारों से जुड़ा होता है। इसके अलावा, यह हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है, जिससे समग्र जीवन शक्ति और ऊर्जा बढ़ती है।
उत्पाद के विशिष्ट उपयोग
बैद्यनाथ दशमूल काढ़ा मुख्य रूप से जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द, पीठ दर्द और साइटिका से राहत पाने के लिए उपयोग किया जाता है। प्रसवोत्तर स्वास्थ्य लाभ, प्रसव के बाद कमजोरी, खांसी और दुर्बलता को दूर करने के लिए भी इसकी अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। इसके अतिरिक्त, यह श्वसन क्रिया को बेहतर बनाता है, तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, और मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में सहायक होता है।
महत्वपूर्ण सूचना
Ingredients:
Directions/Dosage:
बैद्यनाथ दशमूल काढ़ा आमतौर पर बराबर मात्रा में पानी मिलाकर लिया जाता है। इसे भोजन के बाद या किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशानुसार लेने की सलाह दी जाती है। किसी भी नए हर्बल सप्लीमेंट को शुरू करने से पहले, खासकर गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान, किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है।